बाकी पैसे कहाँ हैं?

एक मंत्री जी भाषण दे रहे थे उसमें उन्होंने एक कहानी सुनाई: 

एक व्यक्ति के तीन बेटे थे, उसने तीनों को 100-100 रूपए दिए और ऐसी वस्तु लाने को कहा जिससे कमरा पूरी तरह भर जाये।

पहला पुत्र 100 रूपए की घास लाया पर उससे पूरी तरह कमरा नही भरा।

दूसरा पुत्र 100 रूपए का कपास लाया उससे भी कमरा पूरी तरह नही भरा।

तीसरा पुत्र 1 रूपए की मोमबती लाया और उससे पूरा कमरा प्रकाशित हो गया।

आगे उस मंत्री ने कहा हमारे प्रधानमंत्री उस तीसरे पुत्र की तरह है, जिस दिन से राजनीति में आये है उसी दिन से हमारा देश उज्जवल प्रकाश और समृद्धि से जगमगा रहा है।

तभी पीछे से किसी आदमी की आवाज आई वो सब तो ठीक है बाकी के 99 रूपए कहाँ है?

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